Qutub Minar
अनसुलझा इतिहास | आश्चर्यजनक रहस्य | रोंचक तथ्य
भारत का इतिहास अपने साथ कई सारी इमारतों मीनारों और प्राचीन धरोहरों को संजोए हुए है जो की आज के समय में हम सभी के लिए एक बेहतरीन पर्यटक स्थल होने के साथ साथ हैरान करने वाली कुशल कारीगरी का नमूना भी है. साल भर में करोड़ो विदेशी पर्यटक भारत इन इमारतों और भारत के इतिहास को जानने के लिए आते है.
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित , Qutub Minar भारत की इन्ही प्राचीन मीनारों और इमारतों में से एक है जो सभी पर्यटकों को अपनी विशेष ऊचाई और कलाकारी के कारण अपनी ओर आकर्षित करता आ रहा है. लाल इंटों से बनी यह मीनार विश्व की सबसे ऊँची मीनारों में से एक है जिसकी लम्बाई 72.5 मीटर (237.8 फ़ीट) , डायमीटर 14.32 मीटर (47 फ़ीट) तल से और 2.75 मीटर (9 फ़ीट) चोटी से है.
Qutub Minar का निर्माण क़ुतुबउद्दीन ऐबक ने 1193 में शुरू कराया था लेकिन कहा जाता है की वह सिर्फ एक ही इमारत बनवा सका जिसके बाद अन्य 3 इमारते दिल्ली के सुलतान रहे इल्तुतमिश ने बनवाई थी. जबकि अन्य इमारते 1368 में फिरोजशाह ने पूरी कराई.
Qutub Minar से सम्बन्धित इतिहास में कोई भी दस्तावेज मौजूद नही है जिसके कारण कई बातो पर आज भी अपने अपने तर्क दिए जा रहे है , इतिहास में Qutub Minar के साथ जुडी कई बाते भी सामने आती हैं , जैसे हिन्दू पक्ष का दावा है की यह मीनार विष्णु स्तम्भ है जिसका वर्णन पुराणों में हैं. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है की यह धरोहर कुतुबुद्दीन द्वारा बनवाई गयी जिसके आस पास कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद , अलाई दरवाजा , अलाई मीनार , इमाम जमीम टोम्ब , इल्युमिश टोम्ब , आयरन पिलर स्थित है.
तथ्यों की माने तो यह राजपूतो की मीनारों से प्रभावित हो कर बनवाई गयी इमारत है जिस पर पारसी अरेबिक और नागरी भाषा में शब्द होने के अंश मिलते हैं.
1368 में प्राकर्तिक आपदा के कारण Qutub Minar को काफी नुक्सान पंहुचा जिसके बाद फिरोज शाह तुगलक ने इसका निर्माण कार्य शुरू करवाया और बिजली गिरने से हुयी क्षति की भरपाई करते हुए दो इमारते और खड़ी करवाई जिसपर सफ़ेद पत्थर का उपयोग किया गया. लेकिन , 1505 में एक बार फिर qutub minar पर भूकंप की मार पड़ी और इस ऊँची ईमारत को काफी क्षति पहुची. जिसे सिकंदर लोदी ने ठीक करवाया.
Qutub Minar पर प्राक्रतिक आपदा यहीं ख़त्म नहीं हुयी , इसके बाद क़ुतुबमीनार को एक बार फिर 1903 में भूकंप का शिकार होना पड़ा जिसके बाद ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने 25 साल बाद इसका मरम्मत कार्य शुरू करवाया और इसके ऊपर गुम्बद बना दिया गया. जिसके बाद पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के कहने पर इसे हटा दिया गया.
Qutub Minar से जुड़े रहस्य
क़ुतुब मीनार से जुड़े तथ्यों की बात करे तो कई तथ्य चौंकाने वाले तो कई तथ्य ऐसे भी सामने आते है जो आज भी सभी के लिए रहस्य का हिस्सा है. कई तथ्यों को खोज कर्ताओं ने जानबूझ कर ही दबा रहने देना ही सही समझा है. कहा जाता है की Qutub minar में कई अनचाही शक्तियों का वास है.
यानी Qutub Minar में आत्माओं के साये होने का दावा भी किया जाता है. इस बात में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है लेकिन बड़े जानकार मानते है की यहाँ कुछ समय पहले हुए हादसे के कारण ही यह जगह अब पर्यटकों के लिए ऊपर जाने हेतु बंद कर दी गयी है. साथ ही विशेष जानकारों ने यहाँ हादसे में शिकार हुए लोगो की आत्माओं के भटकने की बात पर अपने अपने तर्क दिए है.
Qutub Minar में हुए दर्दनाक हादसे के बारे में आप नीचे दी गयी विडियो को देख कर जान सकते है. साथ ही ऐसा भी माना जाता है की क़ुतुब मीनार में कई छुपी हुयी कब्रे भी मौजूद है जिसका रहस्य तब सभी के सामने आया जब 1914 में इल्तुतमिश की कब्र को खोजा गया.
Source : youtube
Qutub minar से जुड़े तथ्य
भारत की प्राचीन और सबसे ऊँची मीनार , कई बातो से मतभेद का भी हिस्सा रही है. जिसमे दो पक्ष इसे हमेशा से ही अपने धर्म से जोड़ते आये है. कई लोग इसे कुतुबमीनार का नाम देते है तो कई हिन्दू इसे विष्णु स्तम्भ के नाम से भी पुकारते है. आइये जानते है कुतुबमीनार / विष्णु स्तम्ब से जुड़े कुछ तथ्य.
- कई जगह ऐसा भी कहा गया है की , प्राचीन काल में क़ुतुबमीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद में अजान के समय होता था जिसपर खड़े होकर आजान दी जाती थी. लेकिन इस से जुडा सच यह भी है की कुतुबमीनार की सबसे उपरी इमारत से आवाज देने पर इधर उधर सुनाई दे सकना बेहद ही मुश्किल है.
- लाल और पिली दिखने वाली यह इमारत लगभग 900 साल पुरानी है. इस पर कुरान की आयते लिखी मिलती है.
- क़ुतुबमीनार में स्थित लौह स्तम्भ पर आज भी जंग का कोई नाम नहीं है.
- Qutub Minar की मरम्मत का काम कई बार कराया गया , जिसके कारण यह इमारत पूर्ण रूप से सीधी नही है.
- मीनार में कुल 379 सीढियां है जो की नीचे से लेकर ऊपर तक लगातार बनी हुयी है.
- मीनार पर लिखित बातो में विचित्र यह भी है की वहां 27 हिन्दू मंदिरों को कुतुबद्दीन द्वारा तोड़ने की बात अंकित है. जिसके बाद से कहा जाता है की यह कुतुबमीनार हिन्दुओ के मन्दिरों को तोड़ कर ही बनायीं गयी है. लेकिन , इस कथन के पीछे सत्य की कोई पुष्टि नही है.
- मीनार के पास स्थित लौह स्तम्भ , विष्णु स्तभ होने के संकेत देता है और हिन्दू मंदिरो की बात को काफी हद तक मजबूत करता है.
- दावा यह भी है , की कुतुबमीनार पर पहले 7 मंजिले थी जिसकी उपरी मंजिल पर ब्रम्हा जी की वेद लिए हुए मूर्ति बनी थी जिसे तोड़ दिया गया. साथ ही साथ छठी मंजिल पर विष्णु जी की मूर्तियों से भी छेड़ छाड़ की गयी.
- क़ुतुबमीनार में स्थित लौह स्तम्भ पर ब्राम्ही भाषा में गरुड़ ध्वज सम्राट चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य द्वारा स्थपित किया गया अंकित है जिसपर 380-414 ईसवी लिखा दिखाई देता है. जिस से सवाल खड़ा होता है की यदि यह महान सम्राट के राज्य काल में बना लौह स्तम्भ है तो क्या यह जंगल में बना होगा ? निश्चय ही इसके आस पास निर्माण किया गया होगा जिसे आज कुतुबमीनार का नाम दिया गया है.
Source : Youtube
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